आगरा: आई टी पार्क आगरा में अगर समय के साथ बन गया होता तो देश का पहला आई टी पार्क होता,अगर डबल इंजन सरकार के कार्यकाल में पूरा हो गया होता तो सौ वं आई टी पार्क होता यह कहना है, आई टी प्रोफैशन से सीधे तौर पर जुडे विशेषज्ञ अभिषेक अरूण का। श्री अरूण का कहना है,जो सक्षम हैं उन्हों ने आई टी पार्क प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिये सही मुकामों पर आवाज नहीं उठायी और अगर उठायी भी तो स्थानीय स्तर पर । मेरठ तक में यह पार्क बन चुका है,लेकिन आगरा में जहां का तहां प्रोजेक्ट पडा हुआ है।उनका कहना है कि पारंपरिक उद्यमों पर आगरा में पाबंदी लग जाने के बाद 1999 में लागू आई टी नीति के तहत आगरा का नाम आईटी सिटी के लिए प्रस्तावित किया गया था।
उम्मीद की गयी थी कि आगरा के पास दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के आसपास के शहर हैं: नोएडा और ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव, जयपुर, इंदौर आदि सहित, क्षेत्रो की जरूरते आगरा का आई टी सिटी पूरी कर देगा। लेकिन हुआ उल्टा ,आगरा -जयपुर -दिल्ली के गोल्डन ट्रांगिल में केवल आगरा ही बचा है जहां कि आई टी पार्क नहीं बन सका। उल्टे यहां का काम भी अन्य महानगरो के आई टी पार्के को लेजाया जाने लगा।
आगरा के लोगो की जरूरत को समझ कर तत्कालीन सरकार ने केन्द्र की आई टी पार्क नीति के तहत आगरा में आईटी पार्क बनाया जाना स्वीकार कर लिया था। इसके लिये 2015 में साफ्वेयर टैक्नेलाजी पार्क लि. के साथ एम ओ यू साइन हुआ। तब से इको बनाये जाने का काम जारी है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण प्रोजेक्टों की जा मंथर गति हो सकती है,उसी को आगरा के एस टी पी आई प्राजेक्ट को भी झेलना पडता रहा है।